भारत, मसालों की भूमि, व्यवसायिक रूप से कई मसालों का उत्पादन करता है और दुनिया में मसालों का प्रमुख उपभोक्ता और निर्यातक भी है। पूर्वोत्तर भारत बड़ी इलायची, अदरक, हल्दी, काली मिर्च, मिर्च, तेज पत्ता आदि जैसे मसालों का केंद्र है जिनकी काफी मांग है और इनमें जबरदस्त संभावनाएं हैं। पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र के कृषि उत्पाद पूर्वनिर्धारित रूप से जैविक हैं जो निर्यात मांग के कारण अत्यधिक लाभकारी हैं। और इसके अलावा जैविक उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित, पोषक और पर्यावरण के अनुकूल हैं। जैविक उत्पादन का मूल्य श्रंखला विष्लेषण वास्तव में एक चुनौईपूर्ण काम है। लेकिन यह भारतीय अर्थव्यस्था के झूठ महत्वपूर्ण चरण की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के झूठ एक शक्तिशाली विश्लेष्णात्मक उपाकरण है। प्रोफेसर राम सिंह, डॉ. एस.एम. फ़िरोज़ और डॉ. शिव कुमार दवारा लिखित "मसाला फ़सलों का जैविक उत्पादन और मूल श्रंखला विष्लेषण" शीर्षक वाली यह पुस्तक अद्वितीय चुनौतियाँ और विशिष्ट अवसरों का दस्तवेज़ीकरण करती है। जैविक रूप से उत्पन्न मसलों की मूल श्रंखला के पद्धतिगत और विशालात्मक मुद्दे। मूल श्रंखला का आकालन करने के लिए आधारित केस अध्ययन और सफल पहल पर भी केस अध्ययन मौजूद हैं। ये पुस्तक विविध जैविक मसालों में मूलवर्धन की सीमा का आकालन कराती है। और इसके वैज्ञानिक पद्धतिगत और विश्लेष्णात्मक पहलुओं पर चर्चा करती है। इसलीए, यह पुस्तक नीति निर्माणों को प्रभावी नीति निर्माण और गतिविधि के शुभारंभ में मदद करेगी। मैं इस तरह का रोचक और सामायिक कार्य लाने के लिए लेखकों को बधाई देता हूं। एकत्रित मात्रा अपने विस्तार कार्यप्रणाली और विष्लेषण के साथ जैविक मसालों के मूल श्रंखला विष्लेषण पर सबका सहज करणे और सीखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। मुझे यकीन है कि यह खंड विषय वास्तु पर बहुत अधिक वैज्ञानिक जानकारी और ज्ञान का आधार प्रदान करेगा और शिक्षाविद्वानों, अनुसन्धान विद्वानों, नीति निर्माणों और अभ्यासकर्ताओं के लिए भी उपयोगी होगा।
भारत, मसालों की भूमि, व्यवसायिक रूप से कई मसालों का उत्पादन करता है और दुनिया में मसालों का प्रमुख उपभोक्ता और निर्यातक भी है। पूर्वोत्तर भारत बड़ी इलायची, अदरक, हल्दी, काली मिर्च, मिर्च, तेज पत्ता आदि जैसे मसालों का केंद्र है जिनकी काफी मांग है और इनमें जबरदस्त संभावनाएं हैं। पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र के कृषि उत्पाद पूर्वनिर्धारित रूप से जैविक हैं जो निर्यात मांग के कारण अत्यधिक लाभकारी हैं। और इसके अलावा जैविक उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित, पोषक और पर्यावरण के अनुकूल हैं। जैविक उत्पादन का मूल्य श्रंखला विष्लेषण वास्तव में एक चुनौईपूर्ण काम है। लेकिन यह भारतीय अर्थव्यस्था के झूठ महत्वपूर्ण चरण की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के झूठ एक शक्तिशाली विश्लेष्णात्मक उपाकरण है। प्रोफेसर राम सिंह, डॉ. एस.एम. फ़िरोज़ और डॉ. शिव कुमार दवारा लिखित "मसाला फ़सलों का जैविक उत्पादन और मूल श्रंखला विष्लेषण" शीर्षक वाली यह पुस्तक अद्वितीय चुनौतियाँ और विशिष्ट अवसरों का दस्तवेज़ीकरण करती है। जैविक रूप से उत्पन्न मसलों की मूल श्रंखला के पद्धतिगत और विशालात्मक मुद्दे। मूल श्रंखला का आकालन करने के लिए आधारित केस अध्ययन और सफल पहल पर भी केस अध्ययन मौजूद हैं। ये पुस्तक विविध जैविक मसालों में मूलवर्धन की सीमा का आकालन कराती है। और इसके वैज्ञानिक पद्धतिगत और विश्लेष्णात्मक पहलुओं पर चर्चा करती है। इसलीए, यह पुस्तक नीति निर्माणों को प्रभावी नीति निर्माण और गतिविधि के शुभारंभ में मदद करेगी। मैं इस तरह का रोचक और सामायिक कार्य लाने के लिए लेखकों को बधाई देता हूं। एकत्रित मात्रा अपने विस्तार कार्यप्रणाली और विष्लेषण के साथ जैविक मसालों के मूल श्रंखला विष्लेषण पर सबका सहज करणे और सीखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। मुझे यकीन है कि यह खंड विषय वास्तु पर बहुत अधिक वैज्ञानिक जानकारी और ज्ञान का आधार प्रदान करेगा और शिक्षाविद्वानों, अनुसन्धान विद्वानों, नीति निर्माणों और अभ्यासकर्ताओं के लिए भी उपयोगी होगा।